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जिला पंचायत

जिला पंचायत ग्रामीण भारत की सेवाओं को लागू करने के लिए जिले में शीर्ष निकाय है।
जिला पंचायत की कुछ भूमिकाएँ और जिम्मेदारियाँ:
1. ग्रामीण आबादी और जिले के लिए विकास कार्यक्रमों की योजना और निष्पादन के लिए आवश्यक सेवाएं और सुविधाएं प्रदान करें।
2. किसानों को बेहतर बीजों की आपूर्ति।
3. गाँवों में स्कूल स्थापित करना और चलाना। वयस्क साक्षरता के लिए कार्यक्रम निष्पादित करना।
4. गांवों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और अस्पताल शुरू करना। महामारी और परिवार कल्याण अभियानों के खिलाफ टीकाकरण अभियान शुरू करना।
5. उद्यमियों को लघु उद्योग शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करना जैसे कुटीर उद्योग, हस्तकला, कृषि उपज प्रसंस्करण मिल, डेयरी फार्म आदि। ग्रामीण रोजगार योजनाओं को लागू करना।

पद नाम फोन नंबर पता
सीईओ जिला पंचायत श्री पार्थ जैसवाल आईएएस 07162-244369 कलेक्ट्रेट परिसर

– स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) –
स्वच्छ भारत मिशन का क्रियान्वयन एवं प्रावधान :- माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा 2 अक्टूबर 2014 से स्वच्छ भारत अभियान का शुभारंभ किया गया है । स्वच्छ भारत मिशन – ग्रामीण का उद्देश्‍य ग्राम पंचायतों को खुले में शौच मुक्त करना तथा स्वच्छ एवं साफ सुथरा वातावरण बनाना है ।

निर्माण ऐजेंसी :- ग्राम पंचायत, स्वयं हितग्राही एवं स्वसहायता समूह

भुगतान प्रक्रिया :- निर्माण एजेन्सी द्वारा शौचालय निर्माण उपरांत उन्हें ऑनलाईन भुगतान प्रक्रिया के माध्यम से राशि रू. 12000/- का भुगतान किया जाता है ।

पात्र हितग्राही :- स्वच्छ भारत अभियान अंतर्गत पात्र हितग्राही निम्नानुसार रहेगें –
बीपीएल – ग्राम पंचायत में निवासरत समस्त परिवार ।
एपीएल -एस.सी, एस.टी., लधु व सीमांत कृषक, भूमिहीन परिवार, विधवा मुखिया एवं विकलांग पात्र हितग्राही होगें ।
योजना अंतर्गत जानकारी के लिये जिले स्तर एवं जनपद स्तर पर संपर्क कर जानकारी ली जा सकती है:-

जिला कार्यालय में :- जिला समन्वयक स्वच्छ भारत अभियान

जनपद कार्यालय में :- मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत एवं ब्लाक समन्वयक स्वच्छ भारत अभियान

ग्राम पंचायत में :- सचिव / रोजगार सहायक

ओडीएफ प्लस अंतर्गत गतिविधियॉ :– ग्राम पंचायत स्तर पर घरेलू कचरों का पृथक्करण संकलन और सुरक्षित निपटान घरेलू कंपोस्ट बनाना और बायो गैस संयत्र का निर्माण शामिल होगा।

– प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण –

प्रस्तावनाः– प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण का मुख्य उद्देश्‍य 2022 तक सब के लिए सुविधा युक्त पक्का आवास प्रदान किया जाना है । योजना से सामाजिक आर्थिक जातिगत जनगणना 2011 की सर्वे सूची अनुसार शून्य रूम, एक रूम, दो रुम कच्चा आवासधारी परिवारों को दिशा निर्देशानुसार सत्यापन उंपरात पात्र परिवारों को आवास निर्माण करने के लिए आवास निर्माण की ईकाई लागत रू.1,30,000/- निर्माण के विभिन्न स्तरों पर आवास एप्स के माध्यम से जियो टेग करते हुए 4 किस्तों में सम्पूर्ण राशि हितग्राही के बैंक खाते मे एफ.टी.ओ. के माध्यम से प्रदान की जाती है ।

हितग्राही चयन प्रकिया:– आवास पोर्टल मे प्रदर्शित सामाजिक आर्थिक जातिगत जनगणना 2011 की सूची के शून्य रूम , एक रूम, दो रुम कच्चा आवासधारी परिवारों के सत्यापन उंपरात पात्र पाये गये हितग्राहियों की सूची का ग्राम सभा के द्वारा अनुमोदन किया जाता है।

पंजीयन एवं स्वीकृतिः– ग्रामसभा से अनुमोदित सूची अनुसार हितग्राहियों का आवास पोर्टल मे ऑनलाईन पंजीयन जनपद पंचायत स्तर से किया जाता है । पंजीयन उंपरात शासन से प्राप्त वर्गवार लक्ष्यानुसार स्वीकृति की कार्यवाही जिला स्तर से आवास पोर्टल के माध्यम से की जाती है ।

किश्तों का विवरण :– स्वीकृति उपरांत संबधित हितग्राहियों को जनपद पंचायत स्तर से एफ0टी0ओ द्वारा सीधे हितग्राही के खाते मे प्रथम किस्त की राशि 25,000/- रू. जारी की जाती है । तदोपंरात हितग्राही द्वारा प्लिंथ स्तर का कार्य पूर्ण करने पर द्वितीय किस्त की राशि 45,000/- रू. तथा छत स्तर के बीम कार्य पूर्ण करने पर तृतीय किस्त की राशि 45,000/- रू जारी की जाती है । आवास निर्माण की पूर्णता उपंरात अंतिम किस्त/चतुर्थ किस्त 15,000/- रू. आवास के शेष कार्य को पूर्ण करने हेतु दी जाती है।

मजदूरी का भुगतान:– आवास निर्माण के दौरान संबधित हितग्राही के खाते मे 95 दिवस की मजदूरी प्रतिदिवस 176/- रु. के मान से मनरेगा योजना से भुगतान किया जाता है ।

महिला राजमिस्त्रीयों का प्रशिक्षणः– आवास निर्माण हेतु पर्याप्त मेशन/राजमिस्त्री तैयार करने हेतु योजनान्तर्गत 45 दिवसीय राजमिस्त्रीयों का प्रशिक्षण प्रत्येक जनपद पंचायत में समय-समय पर दिया जाता है जिसमें 1 आवास मे 6 महिला/पुरूष राजमिस्त्री तथा 1 डेमोस्टेटर प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं । प्रशिक्षण अवधि के पारिश्रमिक एवं पूर्णता उपंरात प्रमाणित संस्था के प्रमाण पत्र दिये जाते है । जिसकी मॉनिटरिंग एंव निरीक्षण का कार्य संबधित सहायक यंत्री एवं विकास खण्ड समन्वयक द्वारा किया जाता है ।

निरीक्षण एंव मानिटरिंग:– जिला, जनपद पंचायत एंव कलस्टर स्तर पर मासिक एंव साप्ताहिक समीक्षा बैठकों के माध्यम से योजना की प्रगति की समीक्षा की जाती है । कलस्टर एवं ग्राम पंचायत स्तर पर संबधित ए0डी0ई0ओ0, पी0सी0ओ0, उपयंत्रियों, सचिव एंव ग्राम रोजगार सहायक द्वारा हितग्राहियों को समय-समय मे किस्त प्रदाय करने एवं गुणवत्ता पूर्ण आवास कार्य समयावधि मे पूर्ण कराने हेतू नियमित निरीक्षण एवं मानिटरिंग का कार्य किया जाता है ।

वेबसाइट :- https://pmayg.nic.in

म.प्र.डे.राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, जिला – छिन्दवाड़ा

म.प्र.डे.राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन का क्रियान्वयन:-

मध्यप्रदेश में राज्य आजीविका फोरम के तहत राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन का प्रारम्भ जुलाई 2012 से ग्रामीण निर्धन परिवारों की महिलाओं के सशक्‍त स्व-सहायता समूह बनाये जाकर उनका संस्थागत विकास तथा आजीविका के संवहनीय अवसर उपलब्ध कराने हेतु हुआ है । वर्ष 2018 में प्रदेश के समस्त जिलों के 313 ब्‍लॉक में सघन रूप से क्रियान्वयन शुरू किया गया है ।
उद्देश्य:-मिशन का उद्देश्य ग्रामीण निर्धन परिवारों की महिलाओं को स्व-सहायता समूह के रूप में संगठित कर उन्हें सशक्त बनाने हेतु प्रशिक्षित करना एवं समूह सदस्यों के परिवारों को रूचि अनुसार उपयोगी स्व-रोजगार एवं कौशल आधारित आजीविका के अवसर उपलब्ध कराना है, ताकि मजबूत बुनियादी संस्थाओं के माध्यम से गरीबों की आजीविका को स्थाई आधार पर बेहतर बनाया जा सके ।
हितग्राही चयन प्रक्रिया:-सहभागिता आधारित एवं पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से चिन्हित अति गरीब एवं गरीब परिवार अथवा सामाजिक आर्थिक जातिगत जनगणना (SECC-2011) के अनुसार लक्षित परिवार ।

मुख्य गतिविधियां:-

  • स्‍व-सहायता समूह का गठन एवं सशक्तिकरण करना ।
  • चक्रीय निधि (रिवाल्विंग फंड), सामुदायिक निवेश निधि (सी.आई.एफ.) आपदा कोष (वी.आर.एफ.) एवं बैंक लिंकेज के माध्‍यम से
  • गरीब परिवारों की छोटी, बड़ी आर्थिक आवश्‍यकताओं की पूर्ति की जाती है ।
  • शासन की अन्य योजनाओं से समूहों का समन्वय कर पात्रतानुसार लाभ दिलाया जाना ।
  • स्‍व-सहायता समूहों के गठन पश्चात ग्राम संगठन (वी.ओ.) एवं संकुल स्‍तरीय संगठन (सी.एल.एफ.) का गठन किया जाना ।
  • समूह सदस्यों को विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं, स्वास्थ्य एवं जीवन बीमा, परिसंपत्तियों की बीमा सुविधा प्रदाय करने में सहयोग किया जाना ।
    ग्रामीण युवाओं को रोजगार/स्‍व-रोजगार हेतु कौशल आधारित प्रशिक्षण कराकर रूचि अनुसार रोजगार के अवसर उपलब्‍ध कराया जाना ।

स्व-सहायता समूह (एसएचजी):-

गांव की 10 से 20 महिलाओं का समूह जो समान सोच रखते हों एवं गरीबी से बाहर आने हेतु संगठित होकर प्रयास करना चाहते हों । समूह की महिलाओं की विचारधारा, आर्थिक एवं सामाजिक स्तर में समानता स्व-सहायता समूह का प्रमुख आधार है ।

ग्राम संगठन (व्हीओ):-

ग्राम संगठन एक ऐसा परिसंघ है जिसमें ग्राम में मौजूद स्व-सहायता समूह भागीदारी करते हैं एवं समूह के सदस्यों के सामाजिक, आर्थिक सशक्तिकरण हेतु कार्य करते हैं । ग्राम संगठन के रूप में समूहों को एक ऐसा मंच मिलता है जहां पर वे अपने अनुभवों का आदान-प्रदान कर स्वतः सीखते हैं, आपसी सहयोग बनाने हेतु स्वेच्छा से निर्णय कर सकते हैं।

संकुल स्तरीय परिसंघ:-

संकुल स्तरीय संगठन एक ऐसा परिसंघ है जिसमें ग्राम संगठन भागीदारी करते हैं । समूह के सदस्यों, ग्राम संगठन सदस्य/पदाधिकारियों के प्रशिक्षण, सामाजिक, आर्थिक सशक्तिकरण हेतु कार्य करते हैं। आपसी सहयोग बनाने हेतु निर्णय कर सकते हैं।

सामुदायिक स्त्रोत व्यक्ति:-

समुदाय के बीच से ही समूह की अवधारणा के प्रचार-प्रसार, समूह के अभिलेख संधारण समूह बैठकों का आयोजन, संचालन एवं क्षमता निर्माण, बैंक संयोजन, समूहों की आय अर्जन गतिविधियों में सहयोग आदि कार्यो के लिये सामुदायिक स्त्रोत व्यक्तियों का चिन्हांकन एवं उनका क्षमतावर्द्धन किया जाता है । ये सामुदायिक स्त्रोत व्यक्ति स्थाई रूप से सामुदायिक संस्थाओं के सशक्तिकरण में सहभागी बनते हैं ।

वित्तीय प्रावधान:-

  • रिवाल्विंग फंड (प्रति सदस्‍य रू. 1 हजार की दर से एवं अधिकतम रू. 15 हजार का प्रावधान) ।
  • सामुदायिक निवेश निधि (प्रति समूह अधिकतम रू. 1,10,000/-) ।
  • आपदा कोष (अति गरीब वर्गों के व्यक्तियों/परिवारों को किसी विपत्ति का सामना करने के लिये प्रति सदस्य रू. 1,500/-) ।

रोजगारोन्मुखी कार्यक्रम:-
ग्रामीण युवाओ को रोजगार/स्व-रोजगार हेतु कौशल आधारित प्रशिक्षण करा कर रूचि अनुसार रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जा रहे हैं ।
1. प्रशिक्षण एवं नियोजन – प्रशिक्षण उपरांत नियोजन ।
2. स्‍वरोजगार प्रशिक्षण (आरसेटी) – प्रशिक्षण उपरांत स्‍वरोजगार स्‍थापना ।
3. रोजगार मेला – विकासखण्ड एवं संकुल स्तर पर रोजगार मेलों का आयोजन ।

दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY):-
1. उद्देश्‍य : ग्रामीण युवाओं को परियोजना क्रियान्‍वयन संस्‍थाओं द्वारा कौशल प्रशिक्षण देना तथा नियोजन कराना ।
2. लाभार्थी वर्ग : 15-35 वर्ग में गरीब ग्रामीण युवा । पीवीजीटी, पीडब्ल्यूडी, ट्रांसजेंडर, ट्रैफिकिंग से पीड़ित, मैनुअल स्कैवेंजर्स आदि के लिए ऊपरी आयु सीमा 45 वर्ष ।
3. लाभार्थी चयन प्रक्रिया : परियोजना क्रियान्‍वयन संस्‍था इच्छुक योजना लाभार्थी वर्ग को आवंटित परियोजना प्रस्‍ताव के जिलों के अनुसार गामीण क्षेत्रों से मोबेलाईज करते हैं ।

मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण/मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना:-
1. उद्देश्‍य : नवीन उद्योगों की स्‍थापना हेतु ऋण / सहायता उपलब्ध कराना ।
2. लाभार्थी वर्ग : सभी वर्ग
3. परियोजना लागत : मुख्‍यमंत्री आर्थिक कल्‍याण योजना के अंतर्गत परियोजना लागत अधिकतम रू. 50 हजार है । मुख्‍यमंत्री स्‍वरोजगार योजना में परियोजना लागत रू. 50 हजार से रू. 10 लाख है ।

आजीविका गतिविधियां:-
1. कृषि आधारित आजीविका गतिविधियां : कम लागत उन्‍नत कृषि एवं जैविक कृषि ।
2. गैर कृषि आधारित आजीविका गतिविधियां : गैर कृषि के अंतर्गत मुख्‍य रूप से सिलाई, सेनेटरी नैपकिन उत्‍पादन एवं रीपैकेजिंग, साबुन निर्माण, अगरबत्‍ती, हाथकरघा इत्‍यादि गतिविधियां की जा रही हैं ।

– मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम –
प्रस्तावना :-
मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम की शुरूवात 15 अगस्त 1995 को हुई तभी से योजना में निरंतर सुधार होता आया है। वर्ष 2004 में राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया कि शालाओं में दिये जा रहे दलिया के स्थान पर पका हुआ खाना जैसे दाल-रोटी-सब्जी का प्रदाय किया जावे। जिसमें शासकीय, अर्द्धशासकीय, प्राथमिक शालाऍ सम्मिलित की गई। वर्ष 2004-05 में भारत सरकार, मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय में भोजन पकाने की राशि जारी करने के निर्देश दिये गये। वर्ष 2006 से सभी शासकीय प्राथमिक एवं अनुदान प्राप्त शालाओं में दाल-सब्जी-रोटी (गेहूँ प्रचलन क्षेत्र में) दाल-चॉवल-सब्जी (चॉवल प्रचलन क्षेत्र में) दिया जाने का प्रावधान बना। 2007-08 में माध्यमिक शालाओं में आदिवासी क्षेत्रों में मध्यान्ह भोजन शुरू किया तथा वर्ष 2008-09 में सभी शा.मा.शा., अनुदान प्राप्त शालाओं में भी मध्यान्ह भोजन चालू की गई। 15 जुलाई 2015 से प्रति छात्र 10 ग्राम/दिन/छात्र दुग्ध का वितरण प्रा.शालाओं में चालू किया गया।
मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम के उददेश्य :-
1. शिक्षा का लोकव्यापीकरण ।
2. बच्चों का पोषण स्तर को सुधारना ।
3. शालाओं में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति बढाना तथा शाला त्यागी बच्‍चों को शिक्षा से जोडना ।
4. छात्रों का नामांकन दर्ज कराना ।
5. ग्रामीण गरीबी रेखा से नीचे निवास करने वाली महिलाओं को रोजगार दिलाना।

साप्‍ताहिक मीनू :-

सप्ताह के दिन मीनू का विकल्प
सोमवार रोटी का साथ तुअर की दाल और काबुली चने व टमाटर की सब्जी
मंगलवार पुडी के साथ खीर/ हलवा और मूंगबडी व आलू टमाटर की सब्जी
बुधवार रोटी के साथ चने की दाल और मिक्स सब्जी
गुरूवार वेजीटेबल (सब्जी वाला) पुलाव और पकोडे वाली कढ़ी
शुक्रवार सब्जी के साथ मूंग की दाल और हरे या सूखे टमाटर/ सूखे मटर की सब्जी
शनिवार पराठे के साथ मिक्स दाल और हरी सब्जी

उपरोक्तानुसार प्रदाय किये जाने वाले भोजन के साथ सलाद/पापड/ चटनी भी प्रदाय की जावे ।

शाला खाद्यान रसोईया मानदेय
प्राथमिक शाला 100 ग्रा./प्रतिदिन/छात्र-छात्रा 4.48/ प्रतिदिन/छात्र-छात्रा 2000 प्रतिमाह
माध्‍यमिक शाला 150 ग्रा./प्रतिदिन/छात्र-छात्रा 6.71/ प्रतिदिन/छात्र-छात्रा 2000 प्रतिमाह

अतिरिक्त भोजन के रूप में दूध का वितरण :– प्राथमिक शालाओ में 3 दिन दूध का प्रदाय किया जाना
(सोम./बुध./शुक्र.) 10 ग्रा./दिन/ छात्र

हाथ धुलाई :– शालाओं में पंच परमेश्वर की राशि से प्रत्येक प्राथमिक शालाओं में 5,500/- राशि का उपयोग करते हुय चलित हाथ धुलाई यूनिट का प्रदाय किया गया।

डाईनिंग टेबल का प्रदाय :– डायनिंग टेबल ग्राम पंचायतों के द्वारा शालाओं में 15.500/- की राशि से भोजन हेतु डाईनिंग टेबल, लकडी, लोहे, सीमेंट उपलब्ध कराई गई जिसमें छात्र-छात्राऍ भोजन कर सकें ।

आदर्श किचनशेड :– जिले की 145 शालाओं के रसोईघर को आदर्श बनाया गया जिन्‍हें ग्राम पंचायत तथा जनभागिदारी से पूर्ण कराया गया।