म.प्र.डे.राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, जिला – छिन्दवाड़ा
म.प्र.डे.राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन का क्रियान्वयन:-
मध्यप्रदेश में राज्य आजीविका फोरम के तहत राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन का प्रारम्भ जुलाई 2012 से ग्रामीण निर्धन परिवारों की महिलाओं के सशक्त स्व-सहायता समूह बनाये जाकर उनका संस्थागत विकास तथा आजीविका के संवहनीय अवसर उपलब्ध कराने हेतु हुआ है । वर्ष 2018 में प्रदेश के समस्त जिलों के 313 ब्लॉक में सघन रूप से क्रियान्वयन शुरू किया गया है ।
उद्देश्य:-मिशन का उद्देश्य ग्रामीण निर्धन परिवारों की महिलाओं को स्व-सहायता समूह के रूप में संगठित कर उन्हें सशक्त बनाने हेतु प्रशिक्षित करना एवं समूह सदस्यों के परिवारों को रूचि अनुसार उपयोगी स्व-रोजगार एवं कौशल आधारित आजीविका के अवसर उपलब्ध कराना है, ताकि मजबूत बुनियादी संस्थाओं के माध्यम से गरीबों की आजीविका को स्थाई आधार पर बेहतर बनाया जा सके ।
हितग्राही चयन प्रक्रिया:-सहभागिता आधारित एवं पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से चिन्हित अति गरीब एवं गरीब परिवार अथवा सामाजिक आर्थिक जातिगत जनगणना (SECC-2011) के अनुसार लक्षित परिवार ।
मुख्य गतिविधियां:-
- स्व-सहायता समूह का गठन एवं सशक्तिकरण करना ।
- चक्रीय निधि (रिवाल्विंग फंड), सामुदायिक निवेश निधि (सी.आई.एफ.) आपदा कोष (वी.आर.एफ.) एवं बैंक लिंकेज के माध्यम से
- गरीब परिवारों की छोटी, बड़ी आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती है ।
- शासन की अन्य योजनाओं से समूहों का समन्वय कर पात्रतानुसार लाभ दिलाया जाना ।
- स्व-सहायता समूहों के गठन पश्चात ग्राम संगठन (वी.ओ.) एवं संकुल स्तरीय संगठन (सी.एल.एफ.) का गठन किया जाना ।
- समूह सदस्यों को विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं, स्वास्थ्य एवं जीवन बीमा, परिसंपत्तियों की बीमा सुविधा प्रदाय करने में सहयोग किया जाना ।
ग्रामीण युवाओं को रोजगार/स्व-रोजगार हेतु कौशल आधारित प्रशिक्षण कराकर रूचि अनुसार रोजगार के अवसर उपलब्ध कराया जाना ।
स्व-सहायता समूह (एसएचजी):-
गांव की 10 से 20 महिलाओं का समूह जो समान सोच रखते हों एवं गरीबी से बाहर आने हेतु संगठित होकर प्रयास करना चाहते हों । समूह की महिलाओं की विचारधारा, आर्थिक एवं सामाजिक स्तर में समानता स्व-सहायता समूह का प्रमुख आधार है ।
ग्राम संगठन (व्हीओ):-
ग्राम संगठन एक ऐसा परिसंघ है जिसमें ग्राम में मौजूद स्व-सहायता समूह भागीदारी करते हैं एवं समूह के सदस्यों के सामाजिक, आर्थिक सशक्तिकरण हेतु कार्य करते हैं । ग्राम संगठन के रूप में समूहों को एक ऐसा मंच मिलता है जहां पर वे अपने अनुभवों का आदान-प्रदान कर स्वतः सीखते हैं, आपसी सहयोग बनाने हेतु स्वेच्छा से निर्णय कर सकते हैं।
संकुल स्तरीय परिसंघ:-
संकुल स्तरीय संगठन एक ऐसा परिसंघ है जिसमें ग्राम संगठन भागीदारी करते हैं । समूह के सदस्यों, ग्राम संगठन सदस्य/पदाधिकारियों के प्रशिक्षण, सामाजिक, आर्थिक सशक्तिकरण हेतु कार्य करते हैं। आपसी सहयोग बनाने हेतु निर्णय कर सकते हैं।
सामुदायिक स्त्रोत व्यक्ति:-
समुदाय के बीच से ही समूह की अवधारणा के प्रचार-प्रसार, समूह के अभिलेख संधारण समूह बैठकों का आयोजन, संचालन एवं क्षमता निर्माण, बैंक संयोजन, समूहों की आय अर्जन गतिविधियों में सहयोग आदि कार्यो के लिये सामुदायिक स्त्रोत व्यक्तियों का चिन्हांकन एवं उनका क्षमतावर्द्धन किया जाता है । ये सामुदायिक स्त्रोत व्यक्ति स्थाई रूप से सामुदायिक संस्थाओं के सशक्तिकरण में सहभागी बनते हैं ।
वित्तीय प्रावधान:-
- रिवाल्विंग फंड (प्रति सदस्य रू. 1 हजार की दर से एवं अधिकतम रू. 15 हजार का प्रावधान) ।
- सामुदायिक निवेश निधि (प्रति समूह अधिकतम रू. 1,10,000/-) ।
- आपदा कोष (अति गरीब वर्गों के व्यक्तियों/परिवारों को किसी विपत्ति का सामना करने के लिये प्रति सदस्य रू. 1,500/-) ।
रोजगारोन्मुखी कार्यक्रम:-
ग्रामीण युवाओ को रोजगार/स्व-रोजगार हेतु कौशल आधारित प्रशिक्षण करा कर रूचि अनुसार रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जा रहे हैं ।
1. प्रशिक्षण एवं नियोजन – प्रशिक्षण उपरांत नियोजन ।
2. स्वरोजगार प्रशिक्षण (आरसेटी) – प्रशिक्षण उपरांत स्वरोजगार स्थापना ।
3. रोजगार मेला – विकासखण्ड एवं संकुल स्तर पर रोजगार मेलों का आयोजन ।
दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY):-
1. उद्देश्य : ग्रामीण युवाओं को परियोजना क्रियान्वयन संस्थाओं द्वारा कौशल प्रशिक्षण देना तथा नियोजन कराना ।
2. लाभार्थी वर्ग : 15-35 वर्ग में गरीब ग्रामीण युवा । पीवीजीटी, पीडब्ल्यूडी, ट्रांसजेंडर, ट्रैफिकिंग से पीड़ित, मैनुअल स्कैवेंजर्स आदि के लिए ऊपरी आयु सीमा 45 वर्ष ।
3. लाभार्थी चयन प्रक्रिया : परियोजना क्रियान्वयन संस्था इच्छुक योजना लाभार्थी वर्ग को आवंटित परियोजना प्रस्ताव के जिलों के अनुसार गामीण क्षेत्रों से मोबेलाईज करते हैं ।
मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण/मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना:-
1. उद्देश्य : नवीन उद्योगों की स्थापना हेतु ऋण / सहायता उपलब्ध कराना ।
2. लाभार्थी वर्ग : सभी वर्ग
3. परियोजना लागत : मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना के अंतर्गत परियोजना लागत अधिकतम रू. 50 हजार है । मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में परियोजना लागत रू. 50 हजार से रू. 10 लाख है ।
आजीविका गतिविधियां:-
1. कृषि आधारित आजीविका गतिविधियां : कम लागत उन्नत कृषि एवं जैविक कृषि ।
2. गैर कृषि आधारित आजीविका गतिविधियां : गैर कृषि के अंतर्गत मुख्य रूप से सिलाई, सेनेटरी नैपकिन उत्पादन एवं रीपैकेजिंग, साबुन निर्माण, अगरबत्ती, हाथकरघा इत्यादि गतिविधियां की जा रही हैं ।